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ओम् ध्वनि ऊर्जा

ओम् का जप कैसे करें 


ओम् की ध्वनि ब्रम्‍हाण्‍ड की ध्वनि है यह सबसे महत्वपूर्ण ध्‍वनि है, सबसे मौलिक यह सभी ध्वनियों का स्रोत है। इसमें तीन ध्वनियाँ शामिल हैं, a, u, m, और ये तीन ध्वनियाँ सभी ध्वनियों के पीछे मूल ध्वनियाँ हैं। यह पूर्व से बहुत प्रतीकात्मक हैयह त्रिमूर्ति है। एयूएम: वे तीन ध्वनियां जीवन में तीन ऊर्जाएं हैं। पूरे जीवन में तीन ऊर्जाएं होती हैं: वैज्ञानिक उन्हें इलेक्ट्रॉनप्रोटॉनन्यूट्रॉन कहते हैं। जब आप ध्‍यान की अवस्‍था में अंदर गहरे प्रवेश करते है, और जब ध्‍वनि की शून्‍यता आने लगे, तब की स्थिति में जो ध्‍वनि सुनाई देगी, वह ओम् की ध्वनि है। यह बहुत रहस्‍मय घ्‍वनि हैइसके बारे में कुछ खास ध्‍यान प्रयोग है, जिन्‍हें आगे जानेगें।

 जहां साधारणता किसी एक के लिए यह एकमात्र ध्वनि है, जिससे ओम ध्‍वनि का उच्‍चारण करते है, और जिसे खुले और बंद मुंह के साथ बोला जा सकता हैं।

 यद्यपि यह एकमात्र ध्वनि है, जो शरीर और आत्मा से जुड़ती है। और उन तीनों - एयूएम - को कई चीजों के लिए रूपकों के रूप में उपयोग किया गया है।

 पहला प्रयोग जो किया गया है वह यह है कि वे तीन ध्वनियाँ क्रमशः प्रतिनिधित्व करती हैं: अ- जाग्रत अवस्था, यू- सपने देखने की स्थितिऔर एम- स्वप्नहीन नींद की स्थिति ।

               

प्रथम प्रयोग में जब ध्‍यान की अवरूथा में होते तो खुले मुख से ओम् ध्‍वनि का उच्‍चारण करते है, यह लगभग आप 5 मिनिट करना चाहिेये।

द्वितीय चरण में मुंह बंद करके 5 मिनिट तक ओम् ध्‍वनि का उच्‍चारण करते है, ध्‍यान रखने की बात यह है कि इसमें मुंह बंद करके ही करना है।

फिर त़तीय चरण में अंदर ही ओम् ध्‍वनि का उच्‍चारण करना है, इसमें आपका चित्‍त ओम् ध्‍वनि का उच्‍चारण करता रहे, यह भी 5 मिनिट तक करते रहे। ध्‍यान यह रखना है कि मुंह बंद रहेगा और अंदर ही अंदर चित्‍त से ओम् ध्‍वनि का उच्‍चारण का गुंजन होना चाहिये।

           


अंतिम चतुर्थ प्रक्रिया में अब कुछ नहीं करना है, शांत बिना कुछ किये जो ओम् ध्‍वनि का उच्‍चारण अभी तक किया है, उसे सुने, अब आपको ब्रम्‍हाण्‍ड की ओम् ध्वनि सुनाई देने लगी, इसे लगातार सुनते रहे है, और गहरे प्रवास करते रहे, इस अवस्‍था में आपको जो महसूस होगा वही ध्‍यान है। इससे आपको जाग्रत अवस्‍था प्राप्‍त होगी, और ब्रम्‍हाण्‍ड की कोस्मिक एनर्जी को अपने आप में महसूस करेगे।

पहले जिसे आप मौन कहते थे, वह सकारात्मक मौन नहीं है। यह केवल एक नकारात्मक स्थिति हैशोर की अनुपस्थितिजिसे लोग मौन कहते हैं। जब कोई शोर नहीं होता हैतो वे कहते हैं, 'यहॉं कोई आवाज नहीं है।यह शोर की अनुपस्थिति है। सकारात्मक मौन तब होता है, जब भौतिक शरीर,  मनोवैज्ञानिक शरीरआध्यात्मिक शरीऱ इन तीनों को भी तीन शरीरों के रूप में उपयोग किया गया हो, और जब आप तीसरे से परे जाते हैं तो आपके पास लौकिक शरीर होता है: भगवान का शरीर या बुद्ध का शरीर।              


ब्रम्‍हाण्‍ड की यह ओम् ध्‍वनि आपको अपना रास्ता खोजनेअज्ञात की ओर बढ़ने में बहुत मदद करेगी। जब भी स्‍वयं के लिये समय हो,  इस विधि का प्रयोग करें । मूलरूप से यह ध्‍वनि अपने अंदर मौजूद है, इसे जाने और इसका निरंत्‍तर अभ्‍यास करे। इससे अपार लाभ प्राप्‍त होगा।


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