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एंटी बाॅडीज क्या है

कोरोना सक्रमंण की जाच के लिये कई शहरों में सर्वे हो रहा है। इसमें देखा जा रहा है कि शरीर में वायरस से लड़ने वाला एंटीबाडी बना है या नहीं। एंटीबाडी क्या है, कैसे बनता है, कितने दिन बीमारी से दूर रहते है।

जानिए विशेषज्ञों के मुताबिक अभी शरीर में कोरोना के खिलाफ दो तरह के एंटीबाडी बनते है

1- एंटी बाडीज क्या है                           

एंटी बाडीज अंगे्रजी के वाई आकार के प्रोटीन होते है जो एक प्रकार की श्वेत रक्त कोषिकांए है। एंटीबाडी को इम्युनोग्लोबिुलन भी करते है। जब बैक्टीरिया या वायरस, पैथोजनद्ध शरीर में प्रवेश करता है तो इम्युन सिस्टम, इम्युनोग्लोबिुलन प्रोटीनद्, उससे लड़ता है और एंटीबाडी तैयार करता है। इन्हे शरीर का गेटकीपर भी कहा जाता है।

2- कितने प्रकार की एंटीबाडी होती है ?

इसके कई प्रकार होते है, पर कोरोनावायरस के खिलाफ दो तरह के एंटीबाडी बन रहे है। इम्युनोग्लोबिुलन एम और इम्युनोग्लोबिुलन जी।

3-यह एंटीबाडी कितने दिनों में बनता है और कितने दिनों तक शरीर में रहता है?

वायरस जैसे ही शरीर में प्रवेश करता है, उसके तुरंत बाद शरीर में आईजीएम बनना शुरू हो जाता है। करीब 14 दिन बाद दूसरा एंटीबाडी आईजीजी बनता है, जो लंबे वक्त तक रहता है।

4. शरीर में आईजीएम या आईजीजी एंटीबाडी बन गयाए तो क्या इसका मतलब यह है कि किसी को कोरोना हुआ और ठीक भी हो गया

अभी मान कर चलना चाहिये कि कोरोना होकर ठीक हो गया होगा पर सामान्य फलू के बाद भी इससे मिलते जुलते एंटीबाडी बनते है। कोविड भी एक तरह का फलू ही है।

5- एक बार एंटीबाडी बना तो दूसरी बार वायरस परेशान नहीं करेगा

कोरोना के मामले में अभी ऐसा नहीं कहा जा सकता है कि एक बार एंटीबाॅडी बनने के बाद दोबारा बीमारी हो सकती है या नहीं क्योंकि इस पर अभी अध्ययन चल रहा है।

6- क्या ऐसा भी हो सकता है कि कोविड हुआ और पता भी नहीं चला, ऐसा कैसे होता है ?

इसे आसान भाषा में ऐसे समझे कई बार जब हवा चलती है तो किसी को तेज झोका लगता हैए किसी को हलका और किसी को पता भी नहीं चलता। कुछ हद तक यह वायरस भी ऐसे ही प्रभाव छोडता है। यह वायरस इतना इन्टैंस नहीं है इसलिए कई बार लक्षण भी नहीं दिखते है। 


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