नींद का यह विकार हार्ट अटैक का एक कारण
स्लीप एपनिया यानी नींद से जुडी एक गंभीर
बीमारी है। स्लीप एपनिया की स्थिति में हमारी नींद कई बार टूटती है। कई स्थितियों
में तो सांस रूक भी सकती है। स्लीप एपनिया की स्थिति में हम कई बार करवटे बदलते
रहते है। यह एक ऐसा विकार है, जिससे नींद से जुड़ी और समास्याएं भी खड़ी हो सकती है।
उदाहरण के तौर परशोध बताते हैए यदि आपकी रात की नींद एक घंटे से भी कम हो जाए तो
अगले दिन आपको 32 फीसदी अलर्टनेस कम हो जायेगी। स्लीप एपनिया को
समझने से पहले हमें नींद के बार में समझना जरूरी है। दरअसलए हमारी नींद तीन से चार
चक्रों में पूरी होती है। हर चक्र लगभग 5 चारणो से होकर गुजरता है। चैथा चरण सबसे गहरी
नींद का होता है। पांचवा चरण त्म्ड या रैपिड आई मूवमेंट का चरण होता है। यह वो चरण
होता है जिसमें हम सपने भी देखते हैं। नींद के वक्त भी हमारे शरीर की दैनिक
क्रियाएं होती है। नींद के दौरान शरीर की दैनिक क्रियांए होती है। नींद के दौरान
शरीर का तापमान कम होता है। हृदयगति एवं ब्लड पे्रशर में कमी आती हैए जिससे दिल को
आराम मिलता है। स्लीप एपनिया में कई बार नींद टूटती हैए जिससे इन सभी प्रक्रियाओं
मे खलल पडता है। इएए समझते हैए स्लीप एपनिया हैए क्या और यह किस तरह से हमारे शरीर
पर प्रभाव डालता है।
1. स्लीप एपनिया आखिर है, क्या ?
यह एक तरह का स्लीप डिसआर्डर है। दरअसल कुछ लोगों में पीठ के बल लेटने
से गले की मुक्त पेशियां गुरूत्व के प्रभाव से गले के पिछले हिस्से की ओर फैल जाते
है। और नींद की शिथिलता में श्वसन मार्ग के बीचोण्बीचों खिंच जाती है। इस खिंचावत से
हवा का प्रवाह आंशिक या पूर्ण रूप से बांधित हो सकता है। इससे फेफड़ों में आक्सीजन की
कमी हो जाती है। ऐसी स्थिति में दिमांग नीद को तोड़ देता है। जैसे ही नींद टूटती हैण्
श्वसन मार्ग फिर खुल जाता है। बारण्बार नींद आने और टूटने के इस चवक्र को स्लीप एपनिया
कहते है।
2. इससे जुड़े प्रमुख लक्ष्ण क्या है
?
. खराटे लेना इसका एक प्रमुख लक्षण हो सकता है। सोने में कठिनाई हो सकती
है। मुंह सूखता है।
. नींद के दौरान कुछ क्षण के लिये सांस रूक जाना।
. सुबह के समय सिर में दर्द महसूस होना। हर दिन में ज्यादा नींद का आना।
. चूंकिए स्लीप एपनिया आपकी पूरी स्लीप साइकल को बिगाड़ देता है। ऐसे में चिडचिड़ाहट होने लगती है। साथ ही एक्रागता घटने लगती है।
3. स्लीप एपनिया का इलाज क्या है
?
आब्सट्रक्टिव स्लीप एपनिया के लिए सबसे बेहतर उपचार सीपीएपी (कांटीनुअस पाॅजटिवएयरवेज पे्रशर) थेरेपी वायुमार्गो को खुला रखने के लिए एयर पे्रशर का इस्तेमाल किया जाता है। यह काफी सस्ता और प्रभावी है।
हालांकि इसके स्थायी उपचार के लिये सर्जरी का उपयोग किया जाता है, लेकिन यह बहुत ही खर्चीली होता है। इसमें कुछ जोखिम भी हो सकते है।
4 स्लीप एपनिया के खतरे क्या है ?
स्लीप एपनिया एक खतरनाक स्वास्थ्य समस्या है। इसमें खतरनाक हृदय रोग और लकवे जैसी गंभीर बीमारिया आपके शरीर पर हमला कर सकते है।
5- स्लीप एपनिया के कितने प्रकार है ?
- सेन्ट्रल - यह तब होता है जब हमारा मस्तिष्क सांस लेने वाली मांसपेशियाॅं को निर्देश नहीं दे पाता। इसके चलते सांस लेने की प्रक्रिया अवरूद्ध होने लगती है।
- आब्स्ट्रक्टिव- मस्तिष्क मांसपेशियों को सांस लेने के निर्देश तो देता है,लेकिन वायुमार्ग में किसी प्रकार की रूकावट के कारण मांसपेशियां सांस लेने में असफल हो जात है।
- मिक्सड - जब सेन्ट्रल और आॅब्स्ट्रक्टिव स्लीप एपनिया दोनो एक साथ हो जाएं तो इसे मिक्स्ड स्लीप एपनिया कहा जाता है यह एक गंभीर स्थिति है।
6- खर्राटो का इससे क्या संबंध है ?
खर्राटे स्लीप एपनिया का लक्षण हो सकते है। लेकिन यह स्लीप एपनिया के बगैर
भी हो सकते है। खर्राटों का होना प्राकृतिक है। खतरा सबसे कम नींद लेने वालों में भारतीय
का स्थान दुनिया में दूसरा फिटबिट द्वारा
18 देशों में अध्ययन के अनुसार कम नींद के मामले में भारतीय दूसरे नंबर पर है।एक भारतीय औसतन 7 घंटे
और 1 मिनट की नींद ले पाता है जबकि इसमें भी कम6 घंटे 41 मिनट की नींद जापानी लेते
है। गहरी नींद के मामले भारतीय सबसे ज्यादा पिछड़े है पूरी रात में औसतन 77 मिनट की
गहरी नींद ले पाते है। सिंगापुर, पेरू और हाॅगहांग के लोग भी सबसे कम सोने वाले लोगों
को लिस्ट में शामिल है। कम सोने से भारतीय में स्लीप डिसआडर्रर आम है।
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